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लेखनी कहानी -05-Jan-2023 (14)बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले ना भीख ( मुहावरों की दुनिया )



शीर्षक = बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले ना भीख



थोड़ी देर खेत पर और थोड़ा बहुत गांव में घूम कर वो दोनों वापस घर आ जाते है, गर्मी भी बढ़ने लगी थी, जैसे जैसे सूरज ऊपर चढ़ रहा था, वैसे वैसे ही गर्मी बढ़ती जा रही थी


दोनों दादा पोते समय से घर आ जाते है, राधिका के पास आज भी आशीष का कोई फ़ोन या मैसेज नही आया, और उसे भी अब चिंता हो रही थी


उसे इस तरह चिंता में देख, उसकी सास ने पूछ ही लिया " बहु क्या बात है, कुछ परेशान लग रही हो? "


अपनी सास के इस तरह पूछे गए सवाल से राधिका थोड़ी चौकी और घबराते हुए बोली " न,, न,, नही तो मम्मी जी, ऐसा तो कुछ नही है "

"अच्छी बात है, कि कोई परेशानी नही है, अगर कुछ परेशानी हो तो मुझे जरूर बताना " सुष्मा जी ने कहा

"जी मम्मी कुछ होगा तो आपको जरूर बताउंगी " राधिका ने कहा और काम में लग जाती है


भले ही राधिका ने अपने मन कि व्यथा को अपनी सास को नही बताया लेकिन सुष्मा जी समझ गयी थी कि कोई ना कोई बात अवश्य है, क्यूंकि आशीष का फ़ोन दो दिनों से उनके पास भी नही आया था, जरूर उन दोनों के बीच कुछ हुआ है, उन्हें खुद से पूछना अच्छा नही लगा इसलिए उन्होंने भी बात को दर गुज़र कर दिया और काम में लग गयी


मानव भी अपने कमरे में जाकर, आज के मुहावरें को लिखने लगा और लिखते लिखते ही सो गया, खाना भी नही खाया उसने

इसी तरह दोपहर हो जाती है, सब लोग खाना खा कर थोड़ा आराम करते है, धीरे धीरे सूरज की गर्मी कम होने लगती है, जिसके चलते मौसम सुहाना होने लगता है, सुनसान पड़े गांव में अब चहल पहल नजर आने लगी थी


दीन दयाल जी के परिवार वाले भी शाम की चाय का आंनद लेने के लिए तैयार होकर बाहर आँगन में खाट बिछा कर बैठ जाते है, सुष्मा जी और राधिका सबके लिए चाय बना कर लाती है

मानव जो की उदास था और उसके उदास होने की वजह थी, उसकी ख़त्म होती छुट्टियां और साथ ही साथ अभी बहुत सारे मुहावरें बचे थे जो की उसे कहानी का रूप देकर लिखना थे, ये बात ज़ब उसने अपनी दादी और माँ को बताई तो उन्होंने उसे आश्वासन देते हुए कहा " बाकी कहानियाँ हम सब मिलकर बनाएंगे, चलो बताओ अगला मुहावरा कौन सा है "


मानव ने चेहरे पर मुस्कान सजाते हुए कहा " अगला मुहावरा है, बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले ना भीख


"ये मुहावरा थोड़ा कठिन है, लेकिन थोड़ा सोचती हूँ, शायद कोई कहानी मिल जाए " राधिका ने कहा


"लेकिन कहानी बनाने से पहले इसका अर्थ जान लेते है, फिर कहानी बनाना आसान हो जाएगी " सुष्मा जी ने कहा


ठीक कहा, तुम्हारी दादी ने, चलो इसका अर्थ समझते है, इसका मतलब होता है कि " जब हमें किसी चीज कि ज़रूरत होती है, या फिर किसी चीज को खाने का हमारा मन करता है और हम उसे खाने या फिर पाने के लिए बहुत कोशिश करते है, लेकिन फिर भी वो चीज हमें नही मिलती, लेकिन फिर अचानक वो चीज या फिर हमारी ज़रूरत अपने आप ही पूरी हो जाती है, इसीलिए ये मुहावरा बनाया गया क़ि बिन मांगे मोती भी मिल जाते है और कभी कभी मांगने पर भीख भी नही मिलती "


"मेरे दिमाग़ में एक कहानी आ रही है, इस मुहावरें से सम्बंधित " राधिका ने कहा


"क्या मम्मी?" मानव ने पूछा


चलो सुनाती हूँ, ये कहानी है एक बूढी औरत की जिसे बोझ समझ कर उसके अपने ही घरवालों ने निकाल दिया था, जिसकी वजह से उसके पास ना तो घर था और ना ही कोई और ठिखाना जिसके चलते वो रेलवे प्लेटफॉर्म पर रहने लगी

भीख तो नही मांगती थी लेकिन हाँ अपनी आवाज़ में गाना गाकर लोगो को सुनाती जिसके चलते लोग उसे कुछ ना कुछ दे जाते, कभी कभी तो उसे भूखा ही सोना पड़ता था, लेकिन फिर भी वो गाना गाकर आने जाने वाले यात्रियों का मनोरंजन करती थी, फिर चाहे उनसे उसे कुछ मिले या ना मिले


लेकिन फिर एक दिन उसकी किस्मत ने पलटी मारी, ऐसे ही स्टेशन पर गाते हुए किसी लड़के ने उसका वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल दिया, और आज के ज़माने में शायद ही कोई ऐसा बंदा बशर होगा जो सोशल मीडिया पर नही है, इसलिए वो बूढी औरत और उसके द्वारा गाये जाने वाला गाना लोगो को बहुत अच्छा लगा


और वो रातों रात मशहूर हो गयी, रेलवे प्लेटफॉर्म पर से उठ कर वो एक टेलीविज़न पर चलने वाले एक संगीत कार्यक्रम का हिस्सा बनी उसी के साथ उसने एक गाना भी गाया, जो की लोगो को पसंद भी आया और उसे काफ़ी पैसे और घर भी मिल गया

ये मुहावरा " बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले ना भीख " उसके जीवन पर ठीक ठाक बैठता है, जिसे बोझ समझ कर उसके ही घर वालों ने निकाल दिया, जो की एक वक़्त का खाना खाने के लिए भी मोताज थी, रहने के लिए घर नही था, इसलिए प्लेटफॉर्म पर रहती थी, और फिर समय ने ऐसी करवट ली की जो उसे मांगने से भी नही मिल सकता था वो ईश्वर ने उसे बिन मांगे दे दिया,


राधिका द्वारा सुनाई गयी इस कहानी को सब लोग ध्यान से सुन रहे थे, तब ही दीन दयाल जी बोले " सच कहा बहु, ईश्वर की लीला अपरम्पार है, वो कब किस रूप में आकर अपने बन्दे की मदद कर जाए ये सिर्फ वही जानते है, मनुष्य कभी भी इस राज से पर्दा नही हटा सकता है "



मुहावरों की दुनिया हेतु 






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10 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Mar-2023 07:39 AM

बहुत खूबसूरत

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शानदार प्रस्तुति 👌

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बहुत खूब

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